कंप्यूटर क्या है? > जानें आसान भाषा में (2023)

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क्या आपने कभी सोचा है कि आज हम बड़े से बड़े कार्यों को बड़ी ही आसानी से कैसे कर लेते हैं। लेकिन, हम यह नहीं जानते कि इसके पीछे का Process क्या होता है और ना ही हम यह जानते हैं कि कंप्यूटर का आविष्कार कैसे हुआ? हम इस Article के द्वारा कंप्यूटर से संबंधित सभी जानकारियां देने का प्रयास करेंगे ।

Table of Contents

कंप्यूटर क्या है? (What is Computer in Hindi)

Computer एक ऐसा Electronic Device है जो डाटा को संगणकित करने, संग्रहित करने और संसाधित करने के लिए डिजाइन किया गया है। यह डाटा को संग्रहीत, खोज और व्यवस्थित करके राशियों की गणना कर सकता है और अन्य मशीनों को भी नियंत्रित कर सकता है। वर्तमान समय में लोग अपनी जरूरतों के हिसाब से अपने घरों में भी ज्यादा से ज्यादा इसका उपयोग करने लगे हैं।

computer kya hai
computer kya hai

Computer निर्देशों के अनुसार कार्य करने वाले इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस है । इसमें किसी भी डाटा को प्राप्त (Receive) करने, संग्रहित (Store) तथा प्रोसेस (Process) करने की क्षमता होती है ।

कंप्यूटर शब्द की उत्पत्ति लेटिन भाषा के “Computare” शब्द से हुई है । जिसका हिंदी अर्थ है “गणना करना” परंतु कुछ एक्सपर्ट्स का कहना है कि कंप्यूटर शब्द की उत्पत्ति “Compute” से हुई है ।

computer
computer

जिसका अर्थ होता है गणना करने वाला कंप्यूटर का हिंदी (computer ka arth) में अर्थ “संगणक” होता है ।
कंप्यूटर के कार्यों को मुख्य रूप से तीन भागों में बांटा गया है पहला Data को लेना जिसे हम “Input” कहते हैं, दूसरा काम उस Data को “Processing” करने का होता है और उस Processed Data को दिखाने का काम होता है जिसे हम “Output” कहते हैं।

computer process
computer process

Computer का फुल फॉर्म क्या है | Full Form of Computer in Hindi

Computer का फुल फॉर्म “Commonly Operated Machine Particularly Used for Technical and Educational Research” है।

Full Form of computer
Full Form of computer

कंप्यूटर के जनक कौन है?

Charles Babbage
Charles Babbage

इस कंप्यूटर को लोग डिफरेंस इंजन (Difference Engine) के नाम से जानने लगे। इसके कुछ समय बाद एनालिटिकल इंजन (Analytical Engine) का अविष्कार हुआ जो कि 1837 में हुआ। इसी को आधार मानकर उन्हें कंप्यूटर जगत में “Father of Computer” के नाम से भी जाना जाता है ।

कंप्यूटर का इतिहास (History of Computer in Hindi)

दोस्तों ब्रिटेन में एक गणित के प्रोफेसर हुए जिनका नाम था चार्ल्स बैबेज । चार्ल्स बैबेज एक बहुत ही अच्छे गणितज्ञ और मैकेनिकल इंजीनियर भी थे । चार्ल्स बैबेज का जन्म 26-Dec-1791 को हुआ था ।

उनका जन्म ब्रिटेन में हुआ था । चार्ल्स बैबेज का जन्म ब्रिटेन के एक बैंकर परिवार में हुआ था । उन्होंने 1822 में पहला मैकेनिकल कंप्यूटर बनाया था । जिसको हम डिफरेंस इंजन के नाम से जानते हैं । इस आधार पर आज सभी कंप्यूटर काम कर रहे हैं । इसीलिए चार्ल्स बैबेज को “कंप्यूटर का जनक” माना जाता है ।

उन्होंने 1837 में एनालिटिक्स  इंजन का आविष्कार किया । उस एनालिटिकल इंजन को बनाने में 25000  पुर्जे लगे थे और इस इंजन का भार 13600  Kg का था ।

यह  इंजन गणित के सारे प्रश्नों को हल कर देता था । इस इंजन के निर्माण से चार्ल्स बैबेज पूरे विश्व में  प्रसिद्ध हो गए । क्योंकि यह विश्व का पहला कैलकुलेटिंग कंप्यूटर था ।
जिसका नाम एनालिटिकल इंजन (Analytical Engine) रखा गया था । इसमें डाटा को इंसर्ट (Insert) करने के लिए पंच कार्ड (Punch Card) का इस्तेमाल किया जाता था ।     
जनरेशन ऑफ कंप्यूटर हिंदी में ?  दोस्तों इस बात को कभी भी पूरी तरह से साबित नहीं किया जा सका कि कंप्यूटर का विकास (Development) कब शुरू हुआ ।

अगर कंप्यूटर की Generation की बात करें तो इसे पांच पीढ़ियों में बांटा गया है । जब भी हम कंप्यूटर की Generation के बारे में सोचते हैं तो इसका तात्पर्य है कि जैसे-जैसे समय बीतता गया वैसे-वैसे ही पीढ़ी दर पीढ़ी कंप्यूटर का भी विकास होता रहा ।     

computer genration
computer genration

पहली पीढ़ी के कंप्यूटर ( 1940-1956 )  “Vacuum Tubes”

1940 से 1956 के बीच में प्रथम कंप्यूटर  का विकास हुआ  था । इस पीढ़ी के कंप्यूटर में वैक्यूम ट्यूब (Vacuum Tube) का प्रयोग किया जाता था । जिसकी वजह से इसका आकार बहुत बड़ा होता था ।

यह कंप्यूटर बिजली की खपत भी बहुत ज्यादा करते थे और उसमें जो Tube होती थी । वह बहुत   ज्यादा गर्मी पैदा करती थी । इसलिए यहां पर इनको ठंडा भी किया जाता था ।

First genration of computer
First genration of computer

इस समय के कंप्यूटर की सबसे  बड़ी बात यह है कि वर्तमान में आप जो विंडोज ऑपरेटिंग सिस्टम (Windows Operating System) का इस्तेमाल करते हैं ।

उस दौर में वह विंडोज ऑपरेटिंग सिस्टम नहीं होते थे । इसे चलाने के लिए जो प्रोग्राम (Program) बनाए जाते थे ।  वह कंप्यूटर पंच कार्ड में स्टोर करके रखे जाते थे । इसलिए इसमें डाटा Store करने की जो क्षमता थी । वह बहुत कम थी

साथ ही यह कंप्यूटर बहुत धीमी गति से चला करते थे । इन कंप्यूटर्स में मशीनी भाषा का इस्तेमाल किया जाता था यानी यह कंप्यूटर मशीनी लैंग्वेज को समझा करते थे ।  उदाहरण के लिए  ENIAC  and  UNIVAC Computers.   

First Generation की विशेषताएं

  • इस पीढ़ी में निर्वात नलियों (Vacuum Tubes) Technology का प्रयोग किया जाता था ।  
  • यह कंप्यूटर उस समय के अनुसार बहुत अधिक गति से कैलकुलेशन करते थे ।
  • यह साइज में बहुत बड़े होते थे  और उनका रखरखाव कठिन था ।
  • यह विद्युत का अधिक प्रयोग करते थे और  उनको चलाना कठिन होता था ।  
  • कंप्यूटर के द्वारा मशीनी भाषा (Machine Language) का प्रयोग किया जाता है।
  • इसमें मेमोरी के तौर पर चुंबकीय टेप (Magnetic Tape) एवं पंच कार्ड (Punch Card) का प्रयोग किया करते थे ।  

दूसरी पीढ़ी के कंप्यूटर  ( 1956 -1963 )  “Transistors”

यह कंप्यूटर प्रथम पीढ़ी के कंप्यूटर के आकार की अपेक्षा थोड़े छोटे होते थे । यहां पर वेक्यूम ट्यूब की जगह पर ट्रांजिस्टर (Transistors) का इस्तेमाल किया जाने लगा है । ट्रांजिस्टर  वेक्यूम ट्यूब से  काफी बेहतर हुआ करते थे ।

इन कंप्यूटर में मशीनी भाषा के स्थान पर असेंबली लैंग्वेज (Assembly Language) का इस्तेमाल होने लगा था और डाटा स्टोर (Data Store) करने के लिए अभी भी कंप्यूटर पंच कार्ड का ही इस्तेमाल किया जाता था ।

Second Generation of computer
Second Generation of computer

हालांकि आकार के हिसाब से और बिजली की खपत के हिसाब से यह कंप्यूटर पहली पीढ़ी के कंप्यूटर से कहीं अधिक बेहतर होते थे ।   

इस पीढ़ी में जो प्रोग्राम इस्तेमाल किया जाता था वह हाई लेवल लैंग्वेज (High Level Language) यानी उच्च स्तरीय भाषा होती थी जिसमें COBOL और FORTRAN का विकास हुआ था ।

Second Generation की विशेषताएं

  • इसमें ट्रांजिस्टर टेक्नोलॉजी का प्रयोग किया गया था ।
  • इस पीढ़ी के कंप्यूटर के कार्य करने की क्षमता प्रथम पीढ़ी के कंप्यूटर से बहुत अधिक थी । इसलिए  इनको चलाना आसान था ।  
  • इनका आकार छोटा हो गया था क्योंकि इसमें ट्रांजिस्टर का प्रयोग किया जाने लगा ।
  • इसमें असेंबली एवं हाई लैंग्वेज भाषा का प्रयोग किया गया था ।
  • इसमें मेमोरी के तौर पर चुंबकीय टेप (Magnetic Tape) का प्रयोग किया जाता था ।    

तीसरी पीढ़ी के कंप्यूटर  (Third Generation)  “Integrated  Circuits”

इनका विकास 1964 से 1971  के बीच में हुआ था और यह कंप्यूटर देखने में आज के वर्तमान कंप्यूटर के जैसे ही होते थे । यहां  Keyboard और Monitor का प्रयोग होने लगा ।

लकिन यहां पर Mouse अभी भी नहीं था । ट्रांजिस्टर की जगह इन कंप्यूटर में इंटीग्रेटेड सर्किट (Integrated Circuit) का इस्तेमाल होने लगा था

Third generation of computer
Third generation of computer

उनका आकार बहुत छोटा हो गया था  और गति भी पहले की अपेक्षा बढ़ गई थी । पहले कंप्यूटर की जो गति होती थी । वो माइक्रो सेकेंड (Micro Second) में नापी जाती थी । 

अब इनकी गति माइक्रोसेकंड से बढ़कर नैनो सेकंड तक पहुंच गई थी । यानी यह उनसे ज्यादा  तेजी से कैलकुलेशन करने लगे थे ।

इनको कीबोर्ड की सहायता से चलाया जाता था । इस पीढ़ी के  कंप्यूटर को छोटा और सस्ता बनाया गया था । इस पीढ़ी में जो प्रोग्राम इस्तेमाल किया जाता था ।

वह हाई लेवल लैंग्वेज (High Level Language) यानी उच्च स्तरीय भाषा होती थी । जिसमें पास्कल (PASCAL) और बेसिक (BASIC) का विकास हुआ था ।    

Third Generation की विशेषताएं

  • इसमें IC Technology (SSI) का प्रयोग किया गया था । SSI का पूरा नाम Small Scale Integration है । इस चिप पर 10 से 20  Element स्थापित होते थे ।  
  • यह प्रथम एवं द्वितीय पीढ़ी के कम्प्यूटरों से बहुत अधिक गति से कार्य करते थे ।
  • यह साइज में बहुत छोटे थे और  यह कंप्यूटर बहुत अधिक विश्वसनीय थे ।
  • तीसरी पीढ़ी के कम्प्यूटरों में हाई लेवल भाषा का प्रयोग प्रोग्रामिंग के लिए किया जाता था ।
  • इस पीढ़ी के कम्प्यूटरों को हम एक स्थान से दूसरे स्थान पर आसानी से ले जा सकते थे ।
  • तीसरी पीढ़ी के कम्प्यूटरों में यह बदलाब हुआ कि मेमोरी के तौर पर चुंबकीय डिस्क का प्रयोग किया जाने लगा ।

चौथी पीढ़ी के कंप्यूटर (1971-1985 )    “Microprocessors”

इन कंप्यूटर का विकास 1971  से 1985  तक देखा गया है ।  यह कंप्यूटर देखने में हमारे वर्तमान  कंप्यूटर के जैसे ही हैं । इन कंप्यूटर में  इंटीग्रेट सर्किट (Integrated Circuit) की जगह माइक्रोप्रोसेसर (Microprocessor) का उपयोग होने लगा ।

इन कंप्यूटर का आकार छोटा  होने के साथ-साथ इनकी स्पीड  भी बहुत बढ़ गई थी ।

Forth Generationt of computer
Forth Generationt of computer

कैलकुलेशन करने के  साथ-साथ यहां पर हाई स्पीड वाले नेटवर्क  जिन्हें आप LAN (Local Area Network) और   WAN (Wide Area Network) के नाम से जानते हैं । यहां  पर पहली बार ऑपरेटिंग सिस्टम (Operating System) में MS-Dos का  विकास हुआ था ।

धीरे-धीरे करके जो MS-Dos  थी उसका विकास माइक्रोसॉफ्ट (Microsoft) के विंडोस के रूप में हो गया था । ज्यादातर कंप्यूटर में ऑपरेटिंग सिस्टम  के तौर पर विंडोज आने लग गई थी ।

इसी वजह से यहां मल्टीमीडिया (Multimedia) का विकास भी हुआ और वह प्रोग्रामिंग भाषा C Language हो गई । धीरे-धीरे करके यह कंप्यूटर आज के वर्तमान कंप्यूटर के रूप में बदलने लगे ।

इससे ढेर सारी चीजें आने लगी इस पीढ़ी के कंप्यूटर में  आप म्यूजिक भी सुन सकते थे, आप इंटरनेट भी चला सकते थे और  आप बहुत सारे काम आसानी  से कर सकते थे । GUI (Graphical User Interface)  के आने के बाद से तो बहुत सारे बदलाब हो गए ।

धीरे-धीरे करके ये जो  कंप्यूटर थे उन्होंने हमारे अपने घरों में, ऑफिस में, कार्यालय में  और स्कूलों में अपनी जगह बना ली और उनकी पहुंच आम लोगों के घरों तक हो गई ।

Fourth Generation की विशेषताएं

  • इसमें IC Technology (VLSI) का प्रयोग किया गया था । VLSI की फुल फॉर्म Very Large Scale Integration है । इस चिप पर 10000  से 20000  Elements स्थापित होते थे ।  
  • चौथी पीढ़ी के कम्प्टूयर तीसरी पीढ़ी कम्प्यूटरों से तेज गति से कार्य करते थे । इनका साइज बहुत छोटा होता था।
  • यह कंप्यूटर बहुत अधिक विश्वसनीय थे । इसमें हाई लेवल भाषा का प्रयोग प्रोग्रामिंग के लिए किया जाता था ।
  • चौथी पीढ़ी के कम्प्यूटरों को हम एक स्थान से दूसरे स्थान पर आसानी से ले जा सकते थे ।
  • चौथी पीढ़ी के कम्प्यूटरों में चुंबकीय डिस्क का प्रयोग मैमोरी के लिए किया जाने लगा था ।

पांचवी पीढ़ी के कंप्यूटर  ( 1985 – Present )  “Artificial  Intelligence”

1985  के बाद पांचवी पीढ़ी के कंप्यूटरों ने अपनी जगह बना ली । धीरे-धीरे विकास की यह पीढ़ी आगे बढ़ने लगी ।  अब पांचवी पीढ़ी के कंप्यूटर आने लगे हैं । यानी Fifth Generation के कंप्यूटर का विकास अभी जारी है और इस्तेमाल होने लगे हैं ।

“आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस” यानी  कि AI.  इस  AI टेक्नोलॉजी को हम भविष्य की टेक्नोलॉजी भी कह सकते हैं ।

5th Generation of Computers
5th Generation of Computers

जिसे आप आम तौर पर अपने  मोबाइलों में देखते होंगे जैसे Google Assistant और Alexa है । यह धीरे-धीरे करके अपने आप को  Develop कर रहे हैं और कंप्यूटर में सोचने समझने की शक्ति डाली जा रही है और उनका विकास धीरे-धीरे हो रहा है ।

इन्हें भविष्य  का कंप्यूटर भी कहा जाता है । AI Technology को Future Technology के रूप में भी देखा जा रहा है  

Fifth Generation की विशेषताएं

  • इसमें IC Technology (ULSI) का प्रयोग किया गया है । ULSI की फुल फॉर्म Ultra Large Scale Integration है । इस चिप पर 10 करोड़ से अधिक Elements को एक चिप पर स्थापित किया गया  है ।
  • यह चौथी पीढ़ी की अपेक्षा बहुत अधिक गति से कार्य करते हैं  । 
  • Size में बहुत छोटे थे जिनको हम हथेली पर रखकर चल सकते हैं ।
  • यह कंप्यूटर बहुत अधिक विश्वसनीय हैं  इनका रखरखाव सरल है ।    

कंप्यूटर के प्रकार (Types of Computer in Hindi)

1. एप्लीकेशन के आधार पर कंप्यूटरों के प्रकार( Types of Computers Based on Application )

2. उद्देश्य के आधार पर कंप्यूटरों के प्रकार( Types of Computers Based on Purpose )

3. आकर के आधार पर कम्प्यूटरों के प्रकार( Types of computers based on size)

एप्लीकेशनके आधार पर कंप्यूटरों के प्रकार(Based on Application)

  • एनालॉग कंप्यूटर( Analog Computer )
  • डिजिटल कंप्यूटर( Digital Computer )
  • हाइब्रिड कंप्यूटर( Hybrid Computer )

एनालॉग कंप्यूटर( Analog Computer )

एनालॉग कंप्यूटर ऐसे कंप्यूटर होते हैं जो Physical Unit जैसे ब्लड प्रेशर, टेम्प्रेचर और लम्बाई को मापकर अंको में व्यक्त करता है। यह कंप्यूटर किसी कंप्यूटर का परिमाप कंप्रेसर के ही आधार पर करते हैं।

जैसे एक Thermometer कोई गणना नहीं करता बल्कि यह पारे से संबंधित प्रसार की तुलना करके शरीर के तापमान को बताता है। एनालॉग कंप्यूटर केवल अनुमानित परिमाप ही देते हैं देखा जाये तोह इनकी एक्टिविटी बहुत कम ही होती है ।   

डिजिटल कंप्यूटर( Digital Computer )

यह कंप्यूटर ऐसे कंप्यूटर होते हैं जो डिजिट, शून्य व  एक (0,1) पर आधारित होते हैं। Digital Computer डाटा और प्रोग्राम  को (0,1) में परिवर्तित करके उनको इलेक्ट्रॉनिक रूप में ले आता है।

डिजिटल कंप्यूटर में जो रिजल्ट प्राप्त होता है वह हमें  कैलकुलेशन के आधार पर ही प्राप्त होता है तथा इन कंप्यूटरों की Accuracy बहुत ज्यादा होती है।

हाइब्रिड कंप्यूटर ( Hybrid Computer )

हाइब्रिड कंप्यूटर में एनालॉग तथा डिजिटल कंप्यूटर दोनों के गुण  भी पाए जाते हैं। Hybrid का अर्थ होता है अनेक गुणों का मिश्रण जैसे कंप्यूटर की Analog Devices, किसी रोगी के तापमान तथा ब्लड प्रेशर को मापती है।

यह जो परिमाप  होता है  यह बाद में Digital भाग के द्वारा अंकों में बदल जाते हैं जैसे कि Modem का प्रयोग हमेशा Internet में किया जाता है।

उद्देश्य के आधार पर कंप्यूटरों के प्रकार ( Based on Purpose )

कंप्यूटर को हमेशा दो उद्देश्यों के आधार पर ही स्थापित किया जा सकता है सामान्य ( General ) एवं विशिष्ट ( Special ) इस तरह कंप्यूटर उद्देश्य के आधार पर दो ही प्रकार के होते हैं : –

1. सामान्य उद्देश्यीय कंप्यूटर ( General Purpose Computer)

2. विशिष्ट उद्देश्यीय कंप्यूटर ( Special Purpose Computer )

सामान्य उद्देश्यीय कंप्यूटर ( General Purpose Computer)

इन कम्प्यूटरों मे कई प्रकार के कार्य करने की क्षमता होती है।  लेकिन यह सारे कार्य समान रूप से एक जैसे ही होते हैं।

यह व्यापार से संबंधित डाटा या कठिन गणितीय फार्मूले पर Process कर सकते हैं। सामान्य उद्देश्यीय कंप्यूटर बहुत अधिक  मात्रा में Data  स्टोर कर सकता है और बहुत से व्यवसायों में इनका प्रयोग होता है।

विशिष्ट उद्देश्यीय कंप्यूटर ( Special Purpose Computer)

इन कम्प्यूटरों को किसी विशेष कार्य के लिए बनाया जाता है। इनके CPU ( Centre Processing Unit ) की क्षमता उस कार्य के अनुरूप होती है।

इसके लिए उन्हें तैयार किया गया है। इनमे यदि अनेक CPU की आवश्यकता हो तो इनकी संरचना अनेक CPU  वाली कर दी जाती है। 

आकर के आधार पर कम्प्यूटरों के प्रकार ( Types of computers based on size) –

साइज के आधार पर कंप्यूटर को चार भागों में बांटा गया है

1. माइक्रो कंप्यूटर ( Micro Computer  )

2. मिनी कंप्यूटर ( Mini Computer )

3. मेनफ्रेम कप्यूटर ( Mainframe Computer )

4. सुपर कंप्यूटर ( Super Computer )

माइक्रो कंप्यूटर ( Micro Computer )

माइक्रो कंप्यूटर को सामान्य भाषा में छोटा कंप्यूटर भी कहा जाता है।  इसको हम आसानी से एक जगह से दूसरी जगह तक आसानी से ले जा सकते हैं।  यह single silicon chip पर आधारित है जिसे माइक्रोप्रोसेसर कहते हैं। माइक्रो कंप्यूटर एक डेस्क पर या ब्रीफकेस में भी रखे जा सकते हैं ।

यह कंप्यूटर कीमत में सस्ते और आकर मे छोटे होते हैं  इसलिए ये व्यक्तिगत उपयोग के लिए  घर या बाहर किसी भी  कार्यक्षेत्र में  लगाए जा सकते हैं ।  उनको दो भागों में विभाजित किया जा सकता है जैसे  पर्सनल कंप्यूटर और  होम कंप्यूटर ।

मिनी कंप्यूटर ( Mini Computer )

मिनी कंप्यूटर मध्यम साइज के कंप्यूटर  होते  हैं।  ये माइक्रो कंप्यूटर की तुलना मे  आकर मे बड़े तथा अधिक कार्य क्षमता वाले होते हैं। मिनी कंप्यूटर की कीमत माइक्रो कंप्यूटर से अधिक होते है।

इन कम्प्यूटरों में एक से अधिक CPU  होते हैं तथा इनकी मेमोरी  और स्पीड माइक्रो कंप्यूटर से अधिक होती है। मिनी कंप्यूटर मे एक से अधिक व्यक्ति कार्य कर सकते हैं उदाहरण के लिए पहला मिनी कंप्यूटर प.डी.प. – 8  के नाम से बन गया  था।

मनफ्रेम कप्यूटर ( Mainframe Computer )

देखा जाये तो  मेनफ़्रेम कंप्यूटर साइज मे मिनी कंप्यूटर से काफी  बड़े होते हैं । लेकिन  इनकी स्पीड मिनी कम्प्यूटरों की अपेक्षा ज्यादा होती है । इस कंप्यूटर मे भी एक से अधिक CPU  लगे होते हैं तथा इन कम्प्यूटर को चलाने के लिए 5 से 10 यूजर की आवश्यकता होती है ।

मेनफ़्रेम कंप्यूटर की स्टोरेज कैपेसिटी  मिनी कंप्यूटर की अपेक्षा बहुत ज्यादा होती है । मेनफ़्रेम कंप्यूटर  का उपयोग  इंडस्ट्रीज या आर्गेनाइजेशन  मे किया जाता है।  इनका उपयोग बड़ी से बड़ी कैलकुलेशन के लिए भी किया जाता है ।

सुपर कंप्यूटर ( Super Computer ) 

सुपर कंप्यूटर साइज मे  सबसे बड़े कंप्यूटर होते हैं यह कंप्यूटर एक सेकंड में दस ट्रिलियन व्यक्तिगत गणना कर सकता है। इन कम्प्यूटरों की स्टोरेज कैपेसिटी सबसे ज्यादा होती है तथा इनमे एक से अधिक CPU प्रयोग किये जाते हैं । 

इन कंप्यूटर को चलने के लिए एक साथ लगभग 10 से 20 यूजर  की आवश्यकता होती है । इन कंप्यूटर का उपयोग मौसम विभाग की जानकारी ज्ञात  करने तथा अंतरिक्ष विज्ञान  मे प्रयोग किया जाता है ।

  • Conclusion:- हम आशा करते हैं कि हमारा आज का आर्टिकल “Computer kya hai” और “Computer History in Hindi” आपको बहुत पसंद आया होगा । हमने आपको कंप्यूटर के बारे में ज्यादा से ज्यादा जानकारी  देने का प्रयास किया है । अगर हमारा यह आर्टिकल “Computer kya hai” और “Computer History in  Hindi” आप सभी को पसंद आया हो तो आप से विनती है कि आप इसे शेयर अवश्य करें । अगर इस  Article के बारे में आप हमें कोई सुझाव देना चाहते हैं तो कमेंट बॉक्स में लिखकर बताएं ।